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नई दिल्ली: भारत की प्रमुख शतरंज खिलाड़ी और ग्रैंडमास्टर तानिया सचदेव Tania Sachdev ने हाल ही में एक कड़े बयान में अधिकारियों पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने अपनी मेहनत और उपलब्धियों के बावजूद उन्हें उचित सम्मान और पहचान न मिलने पर अपनी नाराजगी जताई। तानिया सचदेव का यह बयान विशेष रूप से दिल्ली के अधिकारियों पर था, जहां उन्होंने अपने करियर के महत्वपूर्ण हिस्से बिताए, लेकिन वहां के प्रशासनिक निकायों की तरफ से उन्हें कोई विशिष्ट सम्मान नहीं मिला।
Tania Sachdev की पोस्ट: एक कड़ा संदेश
तानिया ने इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने लिखा, “मैंने अपनी ज़िंदगी शतरंज के खेल को समर्पित की है और भारत का नाम रोशन किया है, लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली ने अब तक मेरे योगदान की सही सराहना नहीं की। हमें सही पहचान और समर्थन की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी पूरी क्षमता को पहचान सकें।”
तानिया ने यह भी कहा कि ऐसे पहलुओं के कारण खिलाड़ियों को अपनी मेहनत के बाद भी समाज में उचित स्थान नहीं मिलता। उनका कहना था, “जब तक हम भारत के लिए वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, हमें उसी स्तर का सम्मान और पहचान नहीं मिलती, जो अन्य क्षेत्रों में लोगों को मिलता है।”
तानिया सचदेव का करियर और योगदान
तानिया सचदेव भारत की सबसे प्रमुख महिला शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का नाम रोशन किया है और भारतीय शतरंज को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया है। तानिया ने 2008 में अपनी ग्रैंडमास्टर (GM) की उपाधि प्राप्त की और तब से वह भारत की सबसे सम्मानित शतरंज खिलाड़ियों में शुमार हो गईं। उनके उत्कृष्ट खेल और कड़ी मेहनत के बावजूद, उन्होंने हमेशा यह महसूस किया कि भारत में महिला खिलाड़ियों को पुरुषों की तरह सम्मान और पहचान नहीं मिलती।
दिल्ली का संदर्भ: एक लंबी लड़ाई
तानिया ने अपनी पोस्ट में दिल्ली का विशेष रूप से उल्लेख किया, क्योंकि वह दिल्ली की निवासी हैं और शतरंज के क्षेत्र में उनके योगदान को दिल्ली प्रशासन ने अभी तक उतना नहीं पहचाना, जितना उसे मिलना चाहिए था। तानिया ने कहा, “मैंने दिल्ली में अपनी शिक्षा और शतरंज दोनों को बढ़ाया है, लेकिन दिल्ली के प्रशासन ने कभी भी मुझे एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में पहचाना नहीं। यह उस शहर का दुखद पहलू है, जो शतरंज की महान परंपरा को महसूस करता है लेकिन यहां के प्रशासन का समर्थन कभी नहीं मिला।”
महिला खिलाड़ियों के प्रति उपेक्षा
तानिया ने महिला खिलाड़ियों के प्रति सामाजिक उपेक्षा और उनका समर्थन न मिलने की बात भी उठाई। उन्होंने कहा कि पुरुष खिलाड़ियों को मिलने वाली पहचान और पुरस्कारों की तुलना में महिला खिलाड़ियों को उतनी सराहना नहीं मिलती। यह स्थिति भारतीय खेल जगत में और खासकर शतरंज जैसे मानसिक खेलों में महिला खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा चुनौती है।
“हमेशा पुरुषों को ही क्यों, महिला खिलाड़ियों को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए,” तानिया ने अपनी पोस्ट में लिखा।
क्या हैं तानिया के अगले कदम?
तानिया सचदेव Tania Sachdev ने स्पष्ट किया कि वह केवल इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आवाज़ नहीं उठा रही हैं, बल्कि वह इससे आगे बढ़ने और भारतीय शतरंज के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करना चाहती हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि सभी महिला खिलाड़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करना है, ताकि उन्हें भी वह सम्मान और पहचान मिल सके, जिसका वे हकदार हैं।
तानिया का यह बयान शतरंज के क्षेत्र में महिलाओं की उपेक्षा और खिलाड़ियों के संघर्ष को उजागर करता है। उनकी आवाज़ उन तमाम खिलाड़ियों की आवाज़ बन चुकी है, जो मेहनत और लगन से खेल में अपनी पहचान बनाते हैं, लेकिन समाज और प्रशासन से उचित पहचान और सम्मान प्राप्त नहीं कर पाते।
समाज और खेल जगत का समर्थन जरूरी
Tania Sachdev ने अपने बयान में समाज और खेल जगत से आग्रह किया कि वे खिलाड़ियों के संघर्ष को समझें और उन्हें प्रेरित करने के लिए उन्हें सही पहचान और समर्थन प्रदान करें। उन्होंने कहा कि देश में अगर शतरंज को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाना है, तो प्रशासन को इसे एक सशक्त और समर्पित तरीके से समर्थन देना होगा।
तानिया सचदेव की यह कड़ी टिप्पणी न केवल उनके संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय खेल जगत में महिलाओं के लिए समान अवसर और सम्मान की आवश्यकता को भी उजागर करती है। अब देखना यह है कि इस बयान के बाद दिल्ली प्रशासन और भारत के अन्य अधिकारी खिलाड़ियों की पहचान और सम्मान के मामले में क्या कदम उठाते हैं।
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