SM krishna का निधन (10 December 2024): कर्नाटक के पूर्व सीएम और विदेश मंत्री की जीवन यात्रा
SM कृष्णा, कर्नाटका के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व विदेश मंत्री का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके निधन से न केवल कर्नाटका राज्य, बल्कि समूचा भारत शोक में डूब गया है। उनकी नेतृत्व क्षमता, कूटनीतिक सफलता, और समाज के प्रति उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। इस लेख में हम SM कृष्णा के जीवन और उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे, उनके निधन के कारण गहरी शोक संवेदनाएं और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को कैसे याद किया जाएगा।
SM krishna का जीवन परिचय
SM कृष्णा का जन्म 1 मई, 1938 को कर्नाटका राज्य के मैंगलोर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम सिद्धगंगा महाकवि कृष्णा था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और भारतीय राजनीति में एक अहम स्थान रखते थे।
कर्नाटका राज्य में SM कृष्णा का राजनीतिक जीवन बहुत ही प्रभावशाली और प्रेरणादायक था। उन्होंने कर्नाटका के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जो राज्य की राजनीति और विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुए। इसके बाद, उन्होंने भारत सरकार में विदेश मंत्री के रूप में भी देश की सेवा की।
SM krishna का राजनीतिक करियर
SM कृष्णा ने भारतीय राजनीति में अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक के अंत में की। उन्होंने कर्नाटका विधानसभा में सदस्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और बहुत ही कम समय में अपनी पहचान बना ली। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे और उनके नेतृत्व में कर्नाटका ने कई बदलाव देखे।
1999 में उन्हें कर्नाटका राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके नेतृत्व में राज्य ने आर्थिक विकास की दिशा में कई कदम बढ़ाए, और आधुनिककरण के क्षेत्र में कर्नाटका एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा। उन्होंने कर्नाटका में औद्योगिकीकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में कई योजनाएं लागू की।
2009 में उन्हें भारत सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया। विदेश मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी सफल रहा। उन्होंने भारत की विदेश नीति को नया दिशा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके समय में भारत ने भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान और भारत-अमेरिका जैसे देशों के साथ अपने रिश्तों को बेहतर किया।
SM krishna का निधन
हाल ही में SM कृष्णा के निधन की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। उन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था और उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके निधन के साथ ही एक महान नेता और कूटनीतिज्ञ की उपस्थिति भारतीय राजनीति से समाप्त हो गई। उनका निधन 2024 में हुआ, लेकिन उनकी राजनीतिक विरासत, नेतृत्व, और देश के प्रति योगदान हमेशा जीवित रहेगा।
SM krishna का योगदान: लोग उन्हें क्यों याद करेंगे?
SM कृष्णा को उनकी कर्नाटका राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में किए गए योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से कर्नाटका ने एक आधुनिक और समृद्ध राज्य के रूप में पहचान बनाई।
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री के रूप में उनके योगदान को भी लोग हमेशा याद करेंगे। उन्होंने भारतीय विदेश नीति को सशक्त किया और भारत के वैश्विक संबंधों को मजबूत किया। उनके कार्यकाल में भारत ने विश्व स्तर पर एक नई पहचान बनाई और उन्होंने भारत के कूटनीतिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
SM krishna की विरासत और योगदान
SM कृष्णा ने भारतीय राजनीति में जो योगदान दिया, वह हमेशा एक प्रेरणा के रूप में रहेगा। उनके द्वारा किए गए कई ऐतिहासिक सुधार, उनकी नेतृत्व क्षमता, और उनके कूटनीतिक प्रयास भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ गए। उनकी नीतियां और कार्य हमेशा समाज कल्याण, विकास, और समानता की दिशा में केंद्रित रहे।
उनका कर्नाटका में मुख्यमंत्री बनने से लेकर विदेश मंत्री तक का सफर भारतीय राजनीति के लिए एक मॉडल बन गया है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा लोकहित और समाज के विकास के लिए काम किया।
SM कृष्णा का निधन: भारतीय राजनीति का एक बड़ा नुकसान
SM कृष्णा का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक गहरी छाया छोड़ गया है। वे केवल कर्नाटका के नेता ही नहीं थे, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श नेता थे। उनकी राजनीति में नेतृत्व, दूरदृष्टि, और समानता की भावना ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया। उनके निधन के बाद, उनका योगदान और उनके द्वारा किए गए सुधार भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।
SM कृष्णा के निधन से भारतीय राजनीति ने एक महान नेता को खो दिया। उनका जीवन, उनका कार्य, और उनके योगदान भारतीय राजनीति में सदैव जीवित रहेंगे। उनकी कर्नाटका में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य, विदेश मंत्री के रूप में योगदान, और देश के प्रति समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन से जो शून्य पैदा हुआ है, वह भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा महसूस किया जाएगा।