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भारत के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक, Sanjeev Sanyal ने हाल ही में पुणे के प्रतिष्ठित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी की चांसलरशिप स्वीकार कर ली है। यह नियुक्ति उनके व्यापक अनुभव और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए की गई है।
संजीव सान्याल का परिचय:
संजीव सान्याल भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पूर्व अधिकारी हैं और उन्होंने 1996 में सेवा में प्रवेश किया था। वह देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं और विभिन्न आर्थिक नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में योगदान दिया है। इसके अलावा, वह एक प्रसिद्ध लेखक और विचारक भी हैं, जिनकी कई किताबें और लेख देश के आर्थिक मुद्दों पर आधारित हैं।
गोखले संस्थान का महत्व:
गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी, जिसे 1930 में स्थापित किया गया था, भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों में से एक है। यह संस्थान सामाजिक विज्ञान, विशेषकर अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। यहाँ पर शोधकर्ता और छात्र न केवल अध्ययन करते हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श भी करते हैं।
चांसलर के रूप में उनकी भूमिका:
चांसलर के पद पर संजीव सान्याल की भूमिका न केवल शैक्षिक दिशा-निर्देशन में होगी, बल्कि वह संस्थान की नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उनका लक्ष्य संस्थान को और अधिक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है और यहां पर शोध के मानक को ऊँचा उठाना है।
उनका दृष्टिकोण:
संजीव सान्याल ने चांसलर बनने के बाद एक बयान में कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं इस प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा बन रहा हूँ। मेरा प्रयास होगा कि हम यहाँ पर ज्ञान के नए आयाम खोलें और छात्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करें।” उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।
निष्कर्ष:
संजीव सान्याल की चांसलरशिप की स्वीकृति ने गोखले इंस्टीट्यूट में नई उम्मीदों का संचार किया है। उनकी विद्या, अनुभव और दृष्टिकोण से यह संस्थान निश्चित रूप से और अधिक उन्नति की ओर बढ़ेगा। उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में गोखले इंस्टीट्यूट न केवल भारतीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक उत्कृष्ट शैक्षिक संस्थान बनेगा।