दिल्ली के पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफा देते समय कई अहम मुद्दों को उठाया। उनके कार्यकाल के दौरान उन पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच का दबाव बनाया गया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने डर के कारण कोई समझौता नहीं किया।
कैलाश गहलोत का बयान और उनकी स्थिति
कैलाश गहलोत ने अपने इस्तीफे में यह साफ किया कि उनके खिलाफ जांच एजेंसियों द्वारा चलाए गए मामलों के बावजूद, उन्होंने अपने कर्तव्यों को निभाने में कोई कोताही नहीं बरती। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए कार्य किया। किसी भी प्रकार की जांच या दबाव मुझे मेरे काम से नहीं हटा सका।”
गहलोत का मानना है कि केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा AAP के खिलाफ इस्तेमाल की जा रही एजेंसियां राजनीतिक हथियार के रूप में काम कर रही थीं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन दबावों के बावजूद उन्होंने “डर के बिना” काम करना जारी रखा।
ED और CBI जांच का प्रभाव
गहलोत के अनुसार, ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के दबाव ने दिल्ली सरकार के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि ये एजेंसियां राजनीतिक हित साधने के लिए सक्रिय थीं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों और कार्यों से समझौता नहीं किया।
पार्टी से असंतोष और इस्तीफा
गहलोत ने AAP से इस्तीफा देने के पीछे पार्टी की नीतियों और वादों के पूरे न होने को बड़ा कारण बताया। उनका कहना है कि यमुना सफाई जैसे अहम मुद्दों पर पार्टी विफल रही और केंद्र के साथ टकराव ने जनता के हितों को नुकसान पहुंचाया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- AAP का पक्ष: पार्टी ने आरोप लगाया कि गहलोत भाजपा के दबाव में आए और उनके इस्तीफे को “साजिश” करार दिया।
- BJP का बयान: भाजपा ने गहलोत के इस्तीफे को AAP के “डूबते जहाज” का संकेत बताया और कहा कि पार्टी अपनी “आम आदमी” छवि खो चुकी है।
राजनीतिक असर
गहलोत का इस्तीफा दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीनों पहले हुआ, जिससे AAP के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। इस घटना ने दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या राजनीतिक दबाव के कारण मंत्री और नेता अपने पद छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं या यह पार्टी की आंतरिक समस्याओं का नतीजा है।
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